गुरुवार, 1 अप्रैल 2010
कविता : बेवजह
क्यों लिखूं मैं / कविता / क्यों उतारूं / कोरे पन्नों पर / अपने मन / अंतर्मन की बात / सीधे सादे / काग़जों को / बेवजह / क्यों गुदगुदाऊं / अमिट स्याही से / भरी लेखनी को / क्यों खटाऊं / बेवजह / अपने गूढ़ शब्द / विचारों से / पाठकों को / क्यों करूं भ्रमित / बेवजह / डालूं असमंजस में...? / ...आखिर हो ही गई / तैयार / बातों ही बातों में / पढ़ने को एक / कविता / बेवजह
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